6 मंत्रालय बंद, 1.5 लाख नौकरियां खत्म
पाकिस्तान इस समय अपने सबसे बड़े आर्थिक संकट का सामना कर रहा है। वहां की सरकार ने आईएमएफ (IMF), वर्ल्ड बैंक और एशियन डेवलपमेंट बैंक से मदद मांगने की कोशिश की, लेकिन किसी ने आसानी से कर्ज देने को हां नहीं कहा। अब, पाकिस्तान को आईएमएफ की शर्तों को मानकर ही आगे बढ़ना पड़ रहा है।
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बड़ी कीमत चुकानी पड़ेगी
पाकिस्तान की जनता पहले से ही महंगाई की मार झेल रही है। लेकिन अब हालात और भी मुश्किल हो गए हैं। सरकार ने 1.5 लाख नौकरियों को खत्म कर दिया है, जिससे हजारों परिवारों पर सीधा असर पड़ा है। लोगों के लिए अपनी रोजी-रोटी का इंतजाम करना और भी कठिन हो गया है। इसके अलावा, 6 मंत्रालय बंद कर दिए गए हैं और 2 मंत्रालयों को आपस में मिला दिया गया है।
सोचिए, एक आम इंसान जो पहले से ही महंगाई से परेशान है, उसे अचानक अपनी नौकरी खोने का दर्द भी झेलना पड़ रहा है। यह सिर्फ एक सरकारी निर्णय नहीं है, बल्कि हजारों घरों में फैली मायूसी और असुरक्षा का कारण है।
आईएमएफ की शर्तें और जनता पर असर
पाकिस्तान की सरकार को आईएमएफ से 7 अरब डॉलर का कर्ज मिलने की उम्मीद है, लेकिन इसके लिए उसे बड़ी कीमत चुकानी पड़ रही है। सरकार ने टैक्स टू जीडीपी रेशियो बढ़ाने का वादा किया है। इसका मतलब है कि जनता पर पहले से भी ज्यादा टैक्स लगाया जाएगा। पहले से ही महंगाई से जूझ रही जनता को अब और बढ़ा हुआ टैक्स देना होगा।
सरकार ने एग्रीकल्चर और रियल एस्टेट जैसे क्षेत्रों पर भी टैक्स लगाने की सहमति दे दी है। अब सोचिए, जो किसान पहले ही महंगाई की मार झेल रहे हैं, उन्हें अब और ज्यादा टैक्स देना होगा। इससे आम आदमी का जीवन और कठिन हो जाएगा।
आम आदमी की तकलीफें
पाकिस्तान की आर्थिक स्थिति अब एक आम इंसान के जीवन पर सीधा असर डाल रही है। जिन परिवारों में नौकरी चली गई है, वहां के लोग अब सिर्फ यह सोच रहे होंगे कि अगले दिन का खाना कहां से आएगा। एक ओर नौकरी खोना, दूसरी ओर महंगाई और टैक्स का बोझ – ये सारी समस्याएं जनता को मानसिक और भावनात्मक रूप से भी प्रभावित कर रही हैं।
जब एक पिता अपनी नौकरी खोता है और अपने बच्चों की तरफ देखता है, तो उसके दिल में कितनी बेचैनी होती होगी। जब घर चलाने के लिए पैसा न हो और खर्चे बढ़ते जाएं, तो उस परिवार की स्थिति क्या होगी? यह सिर्फ आर्थिक नहीं, बल्कि एक सामाजिक और भावनात्मक संकट भी है।
नतीजा
यह संकट सिर्फ सरकार के लिए नहीं है, बल्कि पाकिस्तान के हर आम नागरिक के लिए है। सरकार के फैसलों का सीधा असर उन लोगों पर पड़ रहा है जो पहले से ही कठिनाइयों का सामना कर रहे हैं। अब देखना यह होगा कि आने वाले समय में पाकिस्तान कैसे इस संकट से उबरता है और क्या जनता को कोई राहत मिलती है या नहीं।
आखिर में, यह साफ है कि पाकिस्तान के इस आर्थिक संकट का सबसे बड़ा बोझ वहां की जनता को उठाना पड़ रहा है। जहां सरकार आईएमएफ की शर्तें मान रही है, वहीं आम आदमी अपनी जिंदगी की बुनियादी जरूरतों को पूरा करने के लिए संघर्ष कर रहा है।
जय हिंद 🇮🇳
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