भारत का अमूल्य रत्न अब नहीं रहा
देश ने आज एक ऐसे शख्स को खो दिया है, जिसे सिर्फ एक उद्योगपति के रूप में नहीं, बल्कि एक संवेदनशील और महान इंसान के रूप में याद किया जाएगा। रतन टाटा, जिनका जीवन न केवल व्यापारिक दुनिया में बल्कि समाज सेवा में भी एक मिसाल रहा है, का आज मुम्बई के ब्रीच कैंडी अस्पताल में 87 वर्ष की आयु में निधन हो गया।
टाटा ग्रुप के चेयरमैन के रूप में लंबी पारी
28 दिसंबर 1937 को जन्मे रतन टाटा ने 1990 से 2012 तक टाटा ग्रुप के चेयरमैन के रूप में सेवा दी। उनके नेतृत्व में टाटा ग्रुप ने वैश्विक पहचान बनाई और भारतीय उद्योग जगत को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया। उनकी दूरदर्शिता और नेतृत्व क्षमता के चलते टाटा ग्रुप न केवल व्यावसायिक सफलता हासिल करता रहा, बल्कि समाज के प्रति जिम्मेदारियों को भी गंभीरता से निभाता रहा।
सादगी और सेवा भावना का प्रतीक
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रतन टाटा की सादगी और उनके समाज सेवा के कार्य हमेशा लोगों के दिलों में बसते रहेंगे। उन्होंने शिक्षा, स्वास्थ्य और पर्यावरण के क्षेत्र में असंख्य योगदान दिए। वे हमेशा समाज के वंचित वर्गों की मदद के लिए तत्पर रहे और उनकी कल्याणकारी योजनाओं ने करोड़ों लोगों का जीवन बेहतर बनाया।
PM मोदी ने जताया शोक
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रतन टाटा के निधन पर गहरा दुख जताया। अपने ट्वीट में उन्होंने लिखा, “रतन टाटा का योगदान केवल उद्योग तक सीमित नहीं था। उन्होंने समाज को बदलने का काम किया। उनका जाना देश के लिए एक अपूरणीय क्षति है।”
यादों में अमर रहेंगे रतन टाटा
रतन टाटा की विरासत उनके द्वारा किए गए महान कार्यों में हमेशा जीवित रहेगी। उनका जीवन हम सभी के लिए प्रेरणा है, और उनके द्वारा छोड़ी गई छाप हमारे दिलों में हमेशा बसी रहेगी। भारत ने आज एक सच्चे रत्न को खो दिया।
जय हिंद 🇮🇳
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