टॉर्च यात्रा से उठा विरोध का बिगुल
बांग्लादेश में अल्पसंख्यक हिंदू और बौद्ध समुदायों पर हो रही लगातार हिंसा के खिलाफ गुस्से का सैलाब फूट पड़ा है। चटगांव में हाल ही में पाँच हिंदुओं और एक बौद्ध की बर्बर हत्या ने पूरे समुदाय को झकझोर दिया। इस घटना ने अल्पसंख्यकों के अस्तित्व पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। इसके विरोध में लाखों लोग टॉर्च लेकर सड़कों पर उतर आए, शांतिपूर्ण विरोध जताते हुए अपने अधिकारों की मांग की।
हिंसा के खिलाफ एकजुट हुआ हिंदू और बौद्ध समाज
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बांग्लादेश के कई शहरों, खासकर चटगांव और ढाका में, इन टॉर्च यात्राओं ने प्रशासन और सरकार की ओर ध्यान खींचने का काम किया। प्रदर्शनकारियों का कहना है कि हाल के सालों में हिंदू और बौद्ध समुदाय पर हमले बढ़े हैं। इस बार की घटना ने उनके दिलों में डर और असुरक्षा को गहरा कर दिया है। इन अल्पसंख्यकों का कहना है कि उन्हें सुरक्षा और न्याय चाहिए, और यही वजह है कि वे अब सड़क पर उतरने को मजबूर हो गए हैं।
प्रदर्शन में शामिल लोगों का कहना है कि वे अब चुप नहीं बैठेंगे। “हमने अपने भाई-बहनों की हत्या देखी है, हमारे मंदिर तोड़े जा रहे हैं, और हमारी आवाज़ें दबाई जा रही हैं,”— यह कहते हुए एक महिला की आँखों में आंसू थे, लेकिन साथ ही उनमें एक अटूट संकल्प भी था। हर हाथ में टॉर्च जल रही थी, जैसे कि यह उनकी उम्मीद की लौ हो। “हम न्याय चाहते हैं,” हर एक की जुबान पर यही शब्द थे।
सरकार से न्याय की मांग
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प्रदर्शनकारियों ने सरकार से इस तरह की घटनाओं पर कड़ा एक्शन लेने की मांग की है। उनका कहना है कि सिर्फ कड़ी सजा और अल्पसंख्यकों के लिए विशेष कानून से ही इस हिंसा को रोका जा सकता है। इन टॉर्च रैलियों ने पूरे बांग्लादेश में हलचल मचा दी है, और अब ये विरोध एक मजबूत संदेश दे रहे हैं कि अब अल्पसंख्यक समुदाय और हिंसा नहीं सहेगा।
जय हिंद 🇮🇳
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