गत सप्ताह, सुप्रीम कोर्ट ने एक्टिविस्ट शरजील इमाम की जमानत याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया था। शरजील इमाम पर 2020 में दिल्ली दंगों के कथित बड़े षड्यंत्र में शामिल होने का आरोप है। आज, दिल्ली हाई कोर्ट ने भी अपने फैसले में इस मामले पर कोई रोक लगाने से मना कर दिया है। इसका मतलब है कि शरजील इमाम के खिलाफ देशद्रोह का केस अब अपने अगले चरण में बढ़ेगा।
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अभियोजन की भूमिका पर सवाल
दिल्ली हाई कोर्ट के सुनवाई में एक अहम बात सामने आई कि पिछले 4-5 बार से इस मामले में सरकारी वकील की अनुपस्थिति ने मामले को प्रभावित किया है। कोर्ट ने अभियोजन पक्ष की इस असावधानी पर सख्त नजर रखते हुए अपनी नाराज़गी भी जताई। अभियोजन पक्ष के बिना मामला सही दिशा में कैसे बढ़ेगा, यह सवाल कोर्ट में उठाया गया है।
शरजील इमाम का ‘विवादित भाषण‘
यह मामला शरजील इमाम के एक कथित भाषण से जुड़ा है, जो उन्होंने दिसंबर 2019 में जामिया मिलिया इस्लामिया में दिया था। उस भाषण को लेकर यह दावा किया गया है कि उसमें देशद्रोह और हिंसा भड़काने की बातें शामिल थीं। इस भाषण का वीडियो वायरल होते ही प्रशासन और पुलिस की निगाहें शरजील इमाम पर टिकीं और इस मामले में बड़ी कार्रवाई की गई।
कानूनी दृष्टिकोण से आगे का रास्ता
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कोर्ट के इस फैसले के बाद यह स्पष्ट हो गया है कि मामले की अगली सुनवाई में अभियोजन पक्ष को अपनी उपस्थिति दर्ज करनी होगी। साथ ही, यह भी तय किया गया है कि शरजील इमाम के खिलाफ आगे की कार्रवाई तेज होगी। अदालत के इस रुख से यह संकेत मिल रहे हैं कि देशद्रोह जैसे मामलों में ढिलाई बर्दाश्त नहीं की जाएगी, और न्यायिक प्रक्रिया को सख्ती से लागू किया जाएगा।
इस फैसले के दूरगामी प्रभाव
इस मामले का फैसला और दिल्ली हाई कोर्ट की सख्ती एक बड़ा संदेश है कि देशद्रोह से जुड़े मामलों में सरकार और अदालत कितनी गंभीर है।
जय हिंद 🇮🇳
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