अमेरिका ने यमन के हूती विद्रोहियों पर एक बड़ी सैन्य कार्रवाई की है, जिसमें 12 से अधिक ठिकानों पर भीषण हवाई हमले किए गए। ये हमले हूती विद्रोहियों द्वारा लाल सागर और अदन की खाड़ी में जहाजों पर हो रहे मिसाइल और ड्रोन हमलों के जवाब में किए गए हैं।
हवाई हमलों का कारण
अमेरिका ने यह कार्रवाई इसलिए की, क्योंकि हूती विद्रोही लगातार जहाजों पर हमले कर रहे थे, जो अंतरराष्ट्रीय व्यापार और सुरक्षा के लिए खतरा बन रहा था। हूती विद्रोही अपने प्रभाव को बढ़ाने के लिए मिसाइल और ड्रोन का इस्तेमाल कर रहे थे, जो अमेरिका और उसके सहयोगी देशों के लिए एक गंभीर चिंता का विषय था।
हमलों की योजना: इस बड़े हमले की योजना बहुत पहले से बनाई गई थी। अमेरिकी सेना ने हूती विद्रोहियों के कई ठिकानों की पहचान कर ली थी, जहां से ये हमले संचालित हो रहे थे। यह कदम अमेरिका के दृढ़ रुख को दर्शाता है कि वह क्षेत्रीय सुरक्षा और शांति के लिए किसी भी प्रकार की आक्रामकता को बर्दाश्त नहीं करेगा।
परिणाम
इस हमले के बाद हूती विद्रोहियों के कई ठिकाने तबाह हो गए हैं। इस कार्रवाई का उद्देश्य विद्रोहियों की क्षमताओं को कमजोर करना और उन्हें अंतरराष्ट्रीय व्यापार मार्गों को निशाना बनाने से रोकना था।
अमेरिका की यह कड़ी प्रतिक्रिया दिखाती है कि वह अपने और अपने सहयोगियों के हितों की रक्षा के लिए सैन्य शक्ति का प्रयोग करने में संकोच नहीं करेगा।
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