News24x7: कनाडा ने भारत को दुश्मन देश घोषित किया – रिश्तों में नया मोड़!


हाल ही में कनाडा ने अपने राष्ट्रीय साइबर खतरे की आकलन रिपोर्ट में भारत को ‘दुश्मन देश’ का दर्जा दे दिया, जो दोनों देशों के रिश्तों में एक अप्रत्याशित मोड़ है। यह कदम कनाडा के लिए अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर नई चुनौती और चर्चा का विषय बन गया है।

भारत को ‘दुश्मन’ का दर्जा क्यों?

2025-26 की राष्ट्रीय साइबर खतरे की आकलन रिपोर्ट में भारत को उन देशों की सूची में जोड़ा गया है जिनसे कनाडा को साइबर खतरे हो सकते हैं। यह पहला मौका है जब भारत का नाम कनाडा की दुश्मन देशों की सूची में शामिल किया गया है। विश्लेषकों का मानना है कि यह कदम दोनों देशों के बीच बढ़ते कूटनीतिक और राजनीतिक विवादों का नतीजा है।

राजनयिक तनाव और अक्तूबर की घटनाएँ

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अक्तूबर 2024 में कनाडा ने भारत के कुछ राजनयिकों को ‘पर्सन ऑफ इंटरेस्ट’ घोषित किया, जिससे दोनों देशों के संबंधों में और भी तनाव बढ़ गया। आरोप था कि कनाडा में हो रही हिंसा में भारतीय राजनयिकों का हाथ है। इसके जवाब में भारत ने अपने छह राजनयिकों को वापस बुला लिया और इस कदम की कड़ी निंदा की।

भारत का रुख़: ‘निराधार’ आरोप

भारत ने कनाडा के आरोपों को नकारते हुए कहा कि कनाडा में हिंसा के लिए भारतीय समुदाय को जिम्मेदार ठहराना अनुचित है। भारतीय विदेश मंत्रालय ने ट्रूडो सरकार के इन आरोपों को ‘बेबुनियाद’ बताया और इसे कनाडा की पुरानी पूर्वाग्रह नीति का हिस्सा कहा।

दोनों देशों के रिश्तों की खटास के कारण

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कनाडा और भारत के रिश्तों में खटास के पीछे कुछ मुख्य कारण हैं:

  1. खालिस्तान समर्थक गतिविधियाँ: कनाडा में खालिस्तान समर्थक गतिविधियों ने लंबे समय से भारत को परेशान किया है। भारत का मानना है कि कनाडा ने इन संगठनों पर कड़ा रुख नहीं अपनाया है।
  2. राजनीतिक लाभ: कनाडा में भारतीय मूल के लोगों की बड़ी संख्या के चलते कनाडा की राजनीतिक पार्टियाँ उनके समर्थन को ध्यान में रखते हुए नरमी बरतती हैं।
  3. व्यापारिक रिश्तों पर प्रभाव: बढ़ते विवादों के कारण भारत-कनाडा के बीच व्यापार समझौते भी प्रभावित हुए हैं।

भविष्य में संभावित प्रभाव

कनाडा का भारत को ‘दुश्मन देश’ घोषित करना कई तरह के संभावित प्रभाव डाल सकता है:

आर्थिक प्रतिबंध: व्यापार संबंध और निवेश पर असर पड़ सकता है।

भारतीय छात्रों पर प्रभाव: कनाडा में बड़ी संख्या में भारतीय छात्र हैं, जिनकी सुरक्षा और भविष्य को लेकर चिंता बढ़ सकती है।

संस्कृति पर प्रभाव: दोनों देशों के बीच सांस्कृतिक आदान-प्रदान भी प्रभावित हो सकता है।

कनाडा का उद्देश्य: आंतरिक राजनीति या कुछ और?

जस्टिन ट्रूडो की सरकार के इस निर्णय को कनाडा के भीतर राजनीतिक लाभ के तौर पर देखा जा सकता है। जानकार मानते हैं कि भारतीय समुदाय के भीतर मतभेद का फायदा उठाने के लिए यह कदम उठाया गया हो सकता है।

भारत का अगला कदम क्या हो सकता है?

भारत ने अब तक संयमित प्रतिक्रिया दी है, परंतु आने वाले समय में कनाडा के खिलाफ कड़ा रुख़ अपनाने के विकल्प खुले हैं। इनमें प्रमुख हैं:

राजनयिक कड़े फैसले: कनाडा से कूटनीतिक संबंधों की पुनः समीक्षा।

व्यापारिक निर्णय: कनाडा के साथ व्यापार समझौतों की समीक्षा।

कनाडा का यह कदम दोनों देशों के संबंधों में एक नए मोड़ को दर्शाता है। यह तनाव केवल द्विपक्षीय संबंधों को प्रभावित नहीं करेगा बल्कि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी इसकी गूंज सुनाई देगी। दोनों देशों के लिए यह आवश्यक है कि वे अपने विवादों का समाधान शांतिपूर्ण तरीके से करें ताकि वैश्विक शांति और सहयोग को प्रोत्साहित किया जा सके।

यह लेख आपको कनाडा और भारत के बीच बिगड़ते रिश्तों पर एक स्पष्ट दृष्टिकोण देता है और बताता है कि कैसे इस विवाद का असर दोनों देशों के लोगों पर पड़ सकता है।

जय हिंद 🇮🇳

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